अब तो हमने चाँद देखना भी छोड़ दिया है
कमबख्त २ माले कौन चढ़े ?
तेरी यादों से पर्दा करते फिरते है
सेहर ( दिन) भर
वो क्या है न हमारे आँसू
हमारे ही वफ़ादार नहीं है
शब ( raat) होते ही निकल आते है
काम करते करते थक जाता है बदन
फिर भी
नींद को नींद नहीं आती
जाने क्यों बेचैन रहता है मन
आसान है क्या बस यूँ ही व्यस्तता में
वक़्त का गुज़र जाना
तुझे महसूस करके भी
तेरा हकीकत में नज़र न आना
©A Saran
#chaandsifarish