शीर्षक - बचपन के दोस्त #29.12.202
काश! बचपन के दोस्त लौट आए, जो दूर कहीं खो गए
ऐसे बिछड़े कि वो आसमां के तारे और हम जमीं हो गए
साथ गुज़रा हर लम्हा सजा रखा है दिल की संदूक में
मुलाकातों का सिलसिला थम सा गया, मिलें सदी हो गए
शक्ल सूरत बदल गई होगी, दिल आज भी ना बदला होगा
नज़रें तरसती है,वो जिगरी यार जाने कितने हसीं हो गए
कोई पहुंचा दो संदेश आकर मिल लें बिछड़े यार से
वो डाक्टर, इंजीनियर,सी.ए. बड़े अफसर हुए तो क्या
हम याद में उनकी गुमनाम गलियों के मशहूर शायर मोहम्मद रफी हो गए।।
पिंटू कुमावत "श्याम दीवाना" 🙏🙏💐💐
©Pintu Kumawat shyam diwana
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