उसकी जुल्फ़ों पर लगा जो गुलाब था, मेरा मन उससे मिल | हिंदी Shayari

"उसकी जुल्फ़ों पर लगा जो गुलाब था, मेरा मन उससे मिलने बहुत बेताब था। कुछ यूं ठुकराया था उसने मेरे जज़्बातों को, वरना मेरा प्यार तो उसके लिए एक खुल्ली किताब था। ©Surkh ( سرخ )"

 उसकी जुल्फ़ों पर लगा जो गुलाब था,
मेरा मन उससे मिलने बहुत बेताब था।
कुछ यूं ठुकराया था उसने मेरे जज़्बातों को,
वरना मेरा प्यार तो उसके लिए एक खुल्ली किताब था।

©Surkh  ( سرخ )

उसकी जुल्फ़ों पर लगा जो गुलाब था, मेरा मन उससे मिलने बहुत बेताब था। कुछ यूं ठुकराया था उसने मेरे जज़्बातों को, वरना मेरा प्यार तो उसके लिए एक खुल्ली किताब था। ©Surkh ( سرخ )

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