एक नाक़ाम सी कोसिश हर बार करता हु जो ख़्वाब पूरे नही | हिंदी Shayari
"एक नाक़ाम सी कोसिश हर बार करता हु जो ख़्वाब पूरे नही होंगे कभी उस पे उम्मीद हर बार रखता हूं यू तो टूट के बिख़र गए थे काफी पहले ही ये ख़्वाब पर आज भी उस ख़ुदा के सहारे उसे समेट के अपने पास रखता हूं।"
एक नाक़ाम सी कोसिश हर बार करता हु जो ख़्वाब पूरे नही होंगे कभी उस पे उम्मीद हर बार रखता हूं यू तो टूट के बिख़र गए थे काफी पहले ही ये ख़्वाब पर आज भी उस ख़ुदा के सहारे उसे समेट के अपने पास रखता हूं।