तन्हाई
ज़िन्दगी के इस असमंजस में वैसे तो हर इंसान काफी व्यस्त है लेकिन समय को नजरअंदाज कर कुबेर रूपी रिश्तों को लोगों के द्वारा भूल जाना आज भी मुझे चुभती है
मैं आज भी स्वर्णिम पल को जो मैंने बितायें है उसे अपने से जुदा नहीं करना चाहता समय बदलता गया पर हमारे जीवन से रिश्तों का खज़ाना दूर होता गया और तन्हाई के साथ मैं जीना सीखता गया पर जहाँ मैं हूँ अभी वहाँ अपना मित्र सिर्फ तन्हाई है जो सबकुछ पाकर भी कहीं न कहीं अधूरा सा लगता है।
©गौरव वर्मा
सबसे प्यारा साथी आपका खुद का मन सोच और तन्हाई हैं।
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