बिखर जाना है, उसे सुबह के दामन में रोशनी बनकर अब | हिंदी कविता Video

"बिखर जाना है, उसे सुबह के दामन में रोशनी बनकर अब और उसका ऐतबार न करो। बहुत हुई चाहत, तुम्हारी ख्वाबों के लिए, अब रात से रिश्ता न रखो। ©हृदेश वर्मा'महक' "

बिखर जाना है, उसे सुबह के दामन में रोशनी बनकर अब और उसका ऐतबार न करो। बहुत हुई चाहत, तुम्हारी ख्वाबों के लिए, अब रात से रिश्ता न रखो। ©हृदेश वर्मा'महक'

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