रोना आया तो बहुत परन्तु मैं रोई नहीं ,
हुए कई फेर - बदल जीवन की राहों में ,
परन्तु मैं खोई नहीं ।
दिखाया सौ- सौ बार वक्त ने अपना बायानक रूप,
थी जब पूरी दुनियां के ऊपर छाव फैली ,
मेरे ऊपर पड़ी हुई थी कड़ी धुप ।
पर ना मंजूर मुझे यूं रुकना अभी ,
है उम्मीद चलते- चलते मिल जाएगी मंजिल कभी।।
©Pooja Saini
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