बढ़ते कदम रुक से जाते हैं चलती हुई सासें थमने लगती | हिंदी Poetry

"बढ़ते कदम रुक से जाते हैं चलती हुई सासें थमने लगती हैं हौंसले की उड़ान जो भरी थी खुद में वो लड़खड़ाने लगती जब एक लड़की की हंसती खेलती ज़िंदगी हैवानियत की आग में है तपती... ©Meenu pant Tripathi Haldwani Nainital"

 बढ़ते कदम रुक से जाते हैं
चलती हुई सासें थमने लगती हैं 

हौंसले की उड़ान जो भरी थी खुद में 
वो लड़खड़ाने लगती 

जब एक लड़की की हंसती खेलती ज़िंदगी 
हैवानियत की आग में है तपती...

©Meenu pant Tripathi Haldwani Nainital

बढ़ते कदम रुक से जाते हैं चलती हुई सासें थमने लगती हैं हौंसले की उड़ान जो भरी थी खुद में वो लड़खड़ाने लगती जब एक लड़की की हंसती खेलती ज़िंदगी हैवानियत की आग में है तपती... ©Meenu pant Tripathi Haldwani Nainital

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