White जिंदगी के इस दौर में, बहुत संन्नाटा छाया है,
पर सपनों मे किसी अजनबी का, आना जाना लगा है,
ऐसा लगता है मानो......
तन्हाई के चौराहे पर फिर कोई हाथ पकड़कर
साथ निभाने वाला हैं,
दिल के टूटे टुकड़ो से मेरे उजड़े आशियाने को
फिर कोई परिंदा बसाने वाला है,
मेरा मायूस सा चेहरा फिर मुस्कुराने लगा है,
बस उसकी ही बातें को गुनगुनाने लगा है,
इस नए शहर में कोई अपना सा लगता नहीं
या फ़िर उस चेहरे के सिवा मुझे कोई और दिखता नहीं,
ये अल्हड़ सा मन जो कभी किसी की सुनता नहीं था
अब उसकी फिज़ूल की बातें भी सुनने लगा है
उस शख्स का मेरे पास होना मुझे पुरा करने लगा है
एक अरसे बाद ये खुशनुमा सी शाम आई है
मेरी तकलीफो से काला बादल हटने लगा है,
दिल का हाल-ए-मौसम बदलने लगा है
शायद...... हाँ शायद..........
लगता है मुझे फिर इश्क़ होने लगा है......
©Amit kumar
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