प्यासी आत्मा, बोझिल मन, थका हारा तन, दौड़ती जिंदगी | हिंदी कविता

"प्यासी आत्मा, बोझिल मन, थका हारा तन, दौड़ती जिंदगी, स्थिर सपने, और रत्तीभर धन, अगर यकीन ना हो तो जीकर देख लो एक मजदूर की जिन्दगी वजन उठाना, पसीना बहाना, और करना साफ गंदगी। ©Vikash Kamboj"

 प्यासी आत्मा,
बोझिल मन,
थका हारा तन,
दौड़ती जिंदगी,
स्थिर सपने,
और रत्तीभर धन,
अगर यकीन ना हो
तो जीकर देख लो
एक मजदूर की जिन्दगी
वजन उठाना,
पसीना बहाना,
और करना साफ गंदगी।

©Vikash Kamboj

प्यासी आत्मा, बोझिल मन, थका हारा तन, दौड़ती जिंदगी, स्थिर सपने, और रत्तीभर धन, अगर यकीन ना हो तो जीकर देख लो एक मजदूर की जिन्दगी वजन उठाना, पसीना बहाना, और करना साफ गंदगी। ©Vikash Kamboj

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