चित्त ये व्याकुल, व्याकुल ये हृदय
कसमकश ये डगर,पर हृदय है सदय
कैसा ये भूचाल और कैसा ये प्रलय
चित्त है प्रज्वालित जाने कब होगा उदय
ज़िन्दगी और ज़माने मैं है संघर्ष अनन्य
संघर्षो को लाँघ,पाऊँ मैं अंतर्मन पर विजय
कैसा ये संशय और कैसा ये आशय
त्याग हर इक्षाओं को विचरू मैं तन्मय
चित्त ये व्याकुल, व्याकुल ये हृदय
कसमकश ये डगर पर हृदय है सदय
#MoonHiding