चंद लम्हो का चाँद था मेरी भी जिंदगी में।
अपना था या बिराना था।।
मैंने तो उनको इश्क ही समझा।
उनके लिए ये शायद अफ़्साना था।।
ठेल दिया उसी भँवर में जहाँ शायद
मुझे लौट कभी न जाना था।।
हाँ मेरा तो इश्क ही था उनका
शायद अफ़्साना था।।
---neel kamal
©Neel
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