Mind and Battle दिमाग से देखता हूँ,
मन तुम पर कई पैबंद लगाता है,
अनगिनत सवाल उठाता है,
तुम्हारी मौजूदगी को सिलवटों में तलाशता है,
फिर कोई चुपके से कहता है,
छोड़ो मन के पैमाने को,
टूटने दो ताश के घराने को,
जियो बे-अक्ल हो, ज़िन्दगी के तराने को,
साल सदियां किसे पता,
चूरा लो मौज भर,
लम्हे के मयखाने को।
©Prashant Roy
#Mind #दिमाग़ gaTTubaba nida @Rakesh Srivastava IshQपरस्त @anil anilabh