पढ़कर मेरी नज़्म और शायरी, इनमें अक्स तुम्हारा ढू | हिंदी Shayari Vide

"पढ़कर मेरी नज़्म और शायरी, इनमें अक्स तुम्हारा ढूंढते है लोग । पूछ लेते है अक्सर , सबब मेरी तनहाई का, बातों बातों मे ज़िक्र तुम्हारा, छेड़ते हैं लोग। अक्सर नज़र आता हूं तन्हा महफिलों में , तस्वीरों में भी मेरी, साथ तुम्हारा ढूंढते हैं लोग। ©" शमी सतीश " (Satish Girotiya) "

पढ़कर मेरी नज़्म और शायरी, इनमें अक्स तुम्हारा ढूंढते है लोग । पूछ लेते है अक्सर , सबब मेरी तनहाई का, बातों बातों मे ज़िक्र तुम्हारा, छेड़ते हैं लोग। अक्सर नज़र आता हूं तन्हा महफिलों में , तस्वीरों में भी मेरी, साथ तुम्हारा ढूंढते हैं लोग। ©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

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