न जाने आजकल ये कैसा प्यार है।
जिस्म को सौंप देना,ये तो पाप है।।
ये जिस्म नहीं ये ईश्वर का वरदान है।
जो मर्यादा को न त्यागे वो ही सच्चा इंसान है।।
क्या जिस्म खिलौना है।
नहीं न तो फिर रक्षा करो,
क्योंकि ये ही असली गहना है।।
©Dr.Dharmendra sharma
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