कुछ ना होने के बाद भी हम गर्व से अपने आप को माता पिता परमात्मा कहते है,क्यों?केवल इच्छा मरने से?बच्चों ने परिवारों ने भी कईं इच्छा सपने मारे है।घर में आपसी-समझ प्रेम आदर सम्मान अपनेपन, त्याग का संचार करों।किसी पर हुक्म चलाना कम आँकना, खुद को ही महान मानकर दूसरो का अपमान करना "अपने होने के" लक्षण/गुण नहीं है।🙏
अगर जमाना बदला है तो हमें अपने घरों के वातावरण में भी बदलाव लाना होगा, हमारे अपने हमसे अपने मन की बात कह सके हम खुद उनसे कह सके फिर क्यों कोई तनाव में रहेगा, क्यों किसी को रिश्ते में घुटन होगी, जब हमें घर में कोई सुनने समझने वाला नही मिलता तो कोई गैर हमसे दो मीठी बातें बोल लेता है तो हम उसके झांसे में आजाते है। केवल अहम भाव से घर परिवार नही चलते।
बाहर लोगो के सामने नहीं अपने घर की नारी के सामने सभ्य बनो उन्हें Mam कहो, उन्हें ज्यादा जरूरत है सम्मान की वे है तो हमारे घर हमारी नौकरी हमारी कमाई है।😊
हर मां बहन बेटी पत्नी हर नारी को कहो और अहसास दिलाओ की तुम घर के काम ही मत करों,हमारे फरमान ही पूरे मत करो ,अपने लिए जियो,अपना शरीर देखो, उसे सजाओ सवारो, खुश रहो,अपने आपको पैरो पर खड़ा करो, आत्म विश्वास पैदा करो अगर हम आदमी तुम्हारे साथ नही होगें तो तुम अपना जीवन या तुम्हारे सहारे होगा उसे कैसे संभालोगी,खूब सीखो खूब जियो।
हमारे काम थोड़े हम कर लेंगे थोड़े तुम करना,
ये जमाना बदल गया है इसका परिचय यही होगा।✌️