एक माँ ऐसी भी होती है घुंगरू की जंजीर में बंधी होत | हिंदी शायरी

"एक माँ ऐसी भी होती है घुंगरू की जंजीर में बंधी होती है ज़माने की जेल में उसे तबायफ रहने के सजा मिली होती है ! दिल उसका खून के आंसु रोता है आँखे सहरा जैसे सूख गयी होती है अपने बच्चे को स्कूल भेजकर नए नए सपने संजो रही होती है ! एक माँ …….. समाज के ठेकेदारों ने ऐसा कर दिया एक बेबुस को वैश्या कर दिया अपने बच्चे को ख़ुशीया देने वास्ते हर जुल्मो – सितम सह रही होती है! तू कल जब बड़ा हो जायेगा अपनी मंजिल अपना मुकाम पायेगा तू कही उस माँ को छोड़ न दे इस डर से मेरी कलम आगे लिख पति है ! एक माँ ……. ©Sandeep Kumar"

 एक माँ ऐसी भी होती है
घुंगरू की जंजीर में बंधी होती है
ज़माने की जेल में उसे तबायफ
रहने के सजा मिली होती है !
दिल उसका खून के आंसु रोता है
आँखे सहरा जैसे सूख गयी होती है
अपने बच्चे को स्कूल भेजकर नए नए
सपने संजो रही होती है ! एक माँ ……..
समाज के ठेकेदारों ने ऐसा कर दिया
एक बेबुस को वैश्या कर दिया
अपने बच्चे को ख़ुशीया देने वास्ते
हर जुल्मो – सितम सह रही होती है!
तू कल जब बड़ा हो जायेगा
अपनी मंजिल अपना मुकाम पायेगा
तू कही उस माँ को छोड़ न दे
इस डर से मेरी कलम आगे लिख पति है ! एक माँ …….

©Sandeep Kumar

एक माँ ऐसी भी होती है घुंगरू की जंजीर में बंधी होती है ज़माने की जेल में उसे तबायफ रहने के सजा मिली होती है ! दिल उसका खून के आंसु रोता है आँखे सहरा जैसे सूख गयी होती है अपने बच्चे को स्कूल भेजकर नए नए सपने संजो रही होती है ! एक माँ …….. समाज के ठेकेदारों ने ऐसा कर दिया एक बेबुस को वैश्या कर दिया अपने बच्चे को ख़ुशीया देने वास्ते हर जुल्मो – सितम सह रही होती है! तू कल जब बड़ा हो जायेगा अपनी मंजिल अपना मुकाम पायेगा तू कही उस माँ को छोड़ न दे इस डर से मेरी कलम आगे लिख पति है ! एक माँ ……. ©Sandeep Kumar

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