क्षितिज पर छाई लाली नैसर्गिक छटा है निराली स्वच्छ | हिंदी कविता Video

" क्षितिज पर छाई लाली नैसर्गिक छटा है निराली स्वच्छ निर्मल ताल पोखर जैसे डूबा हूँ स्वपन में खोकर पेड़ो कीअजब छाया है सब रची प्रकृति ने माया है ©Kamlesh Kandpal "

क्षितिज पर छाई लाली नैसर्गिक छटा है निराली स्वच्छ निर्मल ताल पोखर जैसे डूबा हूँ स्वपन में खोकर पेड़ो कीअजब छाया है सब रची प्रकृति ने माया है ©Kamlesh Kandpal

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