नज़र मे लिख दू , तुझे सबर मे लिख दू, दोनो तेरे इन्त
"नज़र मे लिख दू , तुझे सबर मे लिख दू,
दोनो तेरे इन्तजार के आंसू बहाते हे।
ये दिल ,ये दिमाग और मेरी रूह के जर्रे,
मुझसे बे'मतलब' कि हमदर्दी जताते हे।।
कलम_अशीष सोनी"
नज़र मे लिख दू , तुझे सबर मे लिख दू,
दोनो तेरे इन्तजार के आंसू बहाते हे।
ये दिल ,ये दिमाग और मेरी रूह के जर्रे,
मुझसे बे'मतलब' कि हमदर्दी जताते हे।।
कलम_अशीष सोनी