शहजादा अंतिम भाग - तू कहता "बड़े लक्ष्यों के ख्वाब | हिंदी Poetry

"शहजादा अंतिम भाग - तू कहता "बड़े लक्ष्यों के ख्वाब अधूरे पड़े इन ख्वाबों को पाने की चाह में इस जहां में कितनों के घर टूटे पड़े, वहाँ हरियाली का नाम नहीं, पेड़-पौधे सूखे खड़े उम्मीदों के दीपक बुझे पड़े" माना दिमाग मे सिर्फ जिम्मेदारी, चिंता-तनाव और थकान के खूंटे गढ़े लेकिन तुम लगे मुझे झूठे बड़े, खुद से रूठे पड़े क्या ऐसे विचार तुमने झूठे गढ़े?  तुम खुद की ही गलतियों में गूथे पड़े तुमने लक्ष्य मिलने तक बार-बार कोशिश न की, तुमने हार मान ली, तुम निराशा से झुके खड़े इतिहास गवाह जो आखरी दम तक न लड़े, वे बुरे फंसे और बहुत बुरे मरे  और उन्हीं के ख्वाब अधूरे पड़े ©Pavan bhoyar "

शहजादा अंतिम भाग - तू कहता "बड़े लक्ष्यों के ख्वाब अधूरे पड़े इन ख्वाबों को पाने की चाह में इस जहां में कितनों के घर टूटे पड़े, वहाँ हरियाली का नाम नहीं, पेड़-पौधे सूखे खड़े उम्मीदों के दीपक बुझे पड़े" माना दिमाग मे सिर्फ जिम्मेदारी, चिंता-तनाव और थकान के खूंटे गढ़े लेकिन तुम लगे मुझे झूठे बड़े, खुद से रूठे पड़े क्या ऐसे विचार तुमने झूठे गढ़े?  तुम खुद की ही गलतियों में गूथे पड़े तुमने लक्ष्य मिलने तक बार-बार कोशिश न की, तुमने हार मान ली, तुम निराशा से झुके खड़े इतिहास गवाह जो आखरी दम तक न लड़े, वे बुरे फंसे और बहुत बुरे मरे  और उन्हीं के ख्वाब अधूरे पड़े ©Pavan bhoyar

शहजादा अंतिम भाग
Written by -Pavan Bhoyar

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