White मेरे काले बाल भी धूप की आंच मे. पक कर सफ़ेद | हिंदी कविता

"White मेरे काले बाल भी धूप की आंच मे. पक कर सफ़ेद हो गए इसके बावजूद मेरे जीवन की वो प्रतिक्षित घड़ी जो संभावित सुखो को. लाने वाली थी वो घड़ी मेरे आँगन से होकर अभी तक गुज़री नही ©Parasram Arora"

 White मेरे 
काले बाल भी 
धूप की आंच मे.
पक कर सफ़ेद हो गए 

इसके बावजूद मेरे 
जीवन की वो प्रतिक्षित घड़ी 
जो संभावित सुखो को.
लाने 
वाली थी
वो  घड़ी मेरे आँगन 
से होकर 
अभी तक 
गुज़री नही

©Parasram Arora

White मेरे काले बाल भी धूप की आंच मे. पक कर सफ़ेद हो गए इसके बावजूद मेरे जीवन की वो प्रतिक्षित घड़ी जो संभावित सुखो को. लाने वाली थी वो घड़ी मेरे आँगन से होकर अभी तक गुज़री नही ©Parasram Arora

प्रतिक्षित घड़ी

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