मर्जी (दोहे) मर्जी ईश्वर की चले, हैं वो ही सरताज। | हिंदी Poetry Video

"मर्जी (दोहे) मर्जी ईश्वर की चले, हैं वो ही सरताज। पत्ता भी है तब हिले, देते जब आवाज़।। उनकी इच्छा है बड़ी, उनका ही फरमान। मेरी मर्जी के बिना, करे न कुछ इंसान।। मर्जी से जो कुछ करो, नेक करे तुम काम। उनको भी भाता यही, जपो ईश का नाम।। जीवन जितना है यहाँ, हो मुख पर मुस्कान। ये है मर्जी ईश की, कहते सभी सुजान।। बिन मर्जी के ईश की, जो चलता इंसान। खाता है वो ठोकरें, मंजिल से अनजान।। ........................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit "

मर्जी (दोहे) मर्जी ईश्वर की चले, हैं वो ही सरताज। पत्ता भी है तब हिले, देते जब आवाज़।। उनकी इच्छा है बड़ी, उनका ही फरमान। मेरी मर्जी के बिना, करे न कुछ इंसान।। मर्जी से जो कुछ करो, नेक करे तुम काम। उनको भी भाता यही, जपो ईश का नाम।। जीवन जितना है यहाँ, हो मुख पर मुस्कान। ये है मर्जी ईश की, कहते सभी सुजान।। बिन मर्जी के ईश की, जो चलता इंसान। खाता है वो ठोकरें, मंजिल से अनजान।। ........................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit

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मर्जी (दोहे)

मर्जी ईश्वर की चले, हैं वो ही सरताज।
पत्ता भी है तब हिले, देते जब आवाज़।।

उनकी इच्छा है बड़ी, उनका ही फरमान।

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