दूरियो में भी मोहब्बत बरकरार इस तरह,, अश्क आंखों म | हिंदी शायरी

"दूरियो में भी मोहब्बत बरकरार इस तरह,, अश्क आंखों में,गिरफ्तार हो जिस तरह l बड़े एहतराम से रहते है गम के तूफ़ान मुझमें,, दर्द प्यार में छुपा रहता है बेशुमार जिस तरह। तेरे जहन में क्या है, कैसे दिखेगा मुझे,, दिखता नहीं आईने में आर पार जिस तरह। मोहब्बत नहीं थी शायद क़िस्मत में हमारी,, मिल जाते हम जैसे मिलती है लहरे साहिल पर जिस तरह। वो लिवास की तरह रिश्ते बदल लेते है "साक्षी ",, आता है रोज बदल कर अख़बार जिस तरह।। @साक्षी शंखधार ©Sakshi Shankhdhar"

 दूरियो में भी मोहब्बत बरकरार इस तरह,,
अश्क आंखों में,गिरफ्तार हो जिस तरह l

बड़े एहतराम से रहते है गम के तूफ़ान मुझमें,,
दर्द प्यार में छुपा रहता है बेशुमार जिस तरह।

तेरे जहन में क्या है, कैसे दिखेगा मुझे,,
दिखता नहीं आईने में आर पार जिस तरह।

मोहब्बत नहीं थी शायद क़िस्मत में हमारी,,
मिल जाते हम जैसे मिलती है लहरे साहिल पर जिस तरह।

वो लिवास की तरह रिश्ते बदल लेते है "साक्षी ",,
आता है रोज बदल कर अख़बार जिस तरह।।

                              @साक्षी शंखधार

©Sakshi Shankhdhar

दूरियो में भी मोहब्बत बरकरार इस तरह,, अश्क आंखों में,गिरफ्तार हो जिस तरह l बड़े एहतराम से रहते है गम के तूफ़ान मुझमें,, दर्द प्यार में छुपा रहता है बेशुमार जिस तरह। तेरे जहन में क्या है, कैसे दिखेगा मुझे,, दिखता नहीं आईने में आर पार जिस तरह। मोहब्बत नहीं थी शायद क़िस्मत में हमारी,, मिल जाते हम जैसे मिलती है लहरे साहिल पर जिस तरह। वो लिवास की तरह रिश्ते बदल लेते है "साक्षी ",, आता है रोज बदल कर अख़बार जिस तरह।। @साक्षी शंखधार ©Sakshi Shankhdhar

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