White आख़िरी किस्त - दीपक कुमार और अंजलि सिंह की प्रेम कहानी
(2018, चित्तौड़गढ़, राजस्थान)
साल 2018, चित्तौड़गढ़ की हवाओं में रानी पद्मिनी की वीरता की कहानियाँ अब भी गूंजती थीं। इसी ऐतिहासिक शहर में, चित्तौड़गढ़ कॉलेज के कैंपस में, दीपक कुमार और अंजलि सिंह की कहानी शुरू होती है। दीपक, एक साधारण परिवार से था, उसका सपना था एक सफल इंजीनियर बनना, ताकि वह अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधार सके। दूसरी तरफ़ अंजलि सिंह, राजपूत परिवार की थी, जो पढ़ाई में होशियार और कॉलेज की टॉपर थी। वो स्वभाव से गंभीर और जिम्मेदार लड़की थी, जो अपने परिवार की उम्मीदों का बोझ अपने कंधों पर उठाए चल रही थी।
किस्मत ने दोनों को कॉलेज की लाइब्रेरी में मिलाया, जब एक दिन दीपक अपनी नोटबुक भूलकर किसी की किताब में गलती से लिखने लगा। अंजलि, उसी किताब को पढ़ रही थी और दीपक की गलती से नाराज हुई। लेकिन जैसे ही उसने दीपक को देखा, उसकी गुस्से भरी आंखें नम्रता में बदल गईं। वो कुछ कह न पाई, और दीपक ने शर्मिंदा होते हुए माफी मांग ली। यही मुलाकात, धीरे-धीरे दोस्ती में बदल गई।
दोनों का साथ कॉलेज की हर गलियारे और लाइब्रेरी में देखा जाने लगा। दीपक का साधारण जीवन और अंजलि की राजसी परवरिश के बीच एक अलग ही तालमेल था। दीपक की सादगी और मेहनत ने अंजलि के दिल को छू लिया, और अंजलि की बुद्धिमानी और गरिमा ने दीपक का मन मोह लिया। धीरे-धीरे ये दोस्ती प्यार में बदल गई।
लेकिन इस प्रेम कहानी में एक बड़ी चुनौती थी—अंजलि का परिवार। अंजलि के परिवार में परंपराएं बहुत अहम थीं। उनका मानना था कि अंजलि की शादी एक राजपूत खानदान में ही होनी चाहिए। दीपक को यह पता था कि उनका प्यार आसान नहीं होगा, फिर भी वह हार मानने वाला नहीं था। उसने अंजलि से वादा किया कि चाहे कुछ भी हो, वह उनके प्यार की "आख़िरी किस्त" पूरी करेगा।
अंजलि भी अपने परिवार के खिलाफ जाने से डरती थी, लेकिन दीपक के लिए उसका प्यार उसे हिम्मत देता था। दोनों ने तय किया कि वे अपने करियर पर ध्यान देंगे और फिर सही वक्त आने पर अपने परिवारों को मनाएंगे।
समय बीता, दीपक ने अपनी पढ़ाई पूरी की और उसे एक प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी मिल गई। अंजलि ने भी अपनी पढ़ाई पूरी की और उसे भी एक अच्छी जगह पर नौकरी मिली। अब वक्त आ चुका था, जब दीपक और अंजलि अपने परिवारों को अपनी प्रेम कहानी के बारे में बता सकें।
दीपक के परिवार ने खुशी-खुशी इस रिश्ते को मंजूरी दे दी, लेकिन अंजलि का परिवार अभी भी इस रिश्ते के खिलाफ था। उन्हें मनाने के लिए दीपक ने पूरी कोशिश की, लेकिन सब बेकार गया। अंत में, अंजलि ने अपने परिवार से कहा, "यह मेरी ज़िंदगी की आख़िरी किस्त है। अगर आप मेरी खुशी चाहते हैं, तो दीपक को स्वीकार करें।"
यह सुनकर, अंजलि के माता-पिता ने एक लंबी चुप्पी के बाद कहा, "हम तुम्हें खुश देखना चाहते हैं, अगर यही तुम्हारी खुशी है, तो हमें यह मंजूर है।"
और इस तरह, चित्तौड़गढ़ की हवाओं में एक और प्रेम कहानी अमर हो गई। दीपक और अंजलि ने एक साधारण पर खूबसूरत शादी की, जहां उनके प्यार की आख़िरी किस्त पूरी हो गई।
समाप्त।
©Aditya Vardhan Gandhi
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