ये वक़्त का दस्तूर ग़ज़ब का नूर ढाया है मोहब्बत क | English Poetry

"ये वक़्त का दस्तूर ग़ज़ब का नूर ढाया है मोहब्बत का करीम साये तक मेरे आया है दूरिया मुक्कमल है दिलो मे और होंठो पर प्रेम बिफर आया है कट रही रातें हसीन लम्हा रो रहा है हुस्न के बाजर मे तख्त मोहब्बत का आज भी बिक रहा है सासों का घुटन अभी भी बाकी है चेहरे पर ये कैसा शिकस्त नया आया है तुम सजाओं अपने चिलमन को हमारा मौन अब हमे बर्बादी की तरफ लाया है ©chandni"

 ये वक़्त का दस्तूर
ग़ज़ब का नूर ढाया है

मोहब्बत का करीम
साये तक मेरे आया है

दूरिया मुक्कमल है
 दिलो मे

और होंठो पर प्रेम 
बिफर आया  है

कट रही रातें हसीन
लम्हा रो रहा है

हुस्न के बाजर मे तख्त
मोहब्बत का आज भी
बिक रहा है

सासों का घुटन अभी 
भी बाकी है

चेहरे पर ये कैसा शिकस्त 
नया आया है

तुम सजाओं अपने 
चिलमन को

हमारा मौन अब हमे बर्बादी 
की तरफ लाया है

©chandni

ये वक़्त का दस्तूर ग़ज़ब का नूर ढाया है मोहब्बत का करीम साये तक मेरे आया है दूरिया मुक्कमल है दिलो मे और होंठो पर प्रेम बिफर आया है कट रही रातें हसीन लम्हा रो रहा है हुस्न के बाजर मे तख्त मोहब्बत का आज भी बिक रहा है सासों का घुटन अभी भी बाकी है चेहरे पर ये कैसा शिकस्त नया आया है तुम सजाओं अपने चिलमन को हमारा मौन अब हमे बर्बादी की तरफ लाया है ©chandni

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