सोंचा है अब सफर आसान किया जाए,
उलझ चुके है ये सारे रास्ते ,
मंजिल का कुछ पता नहीं,
चलो दूर निकल चले कहीं,
और उस उगते सूरज को सलाम किया जाए,
बैठे - बैठे भी बसर कहाँ भला ? ,
बेमतलब का ही सही,
पर थोड़ा फुर्ती दिखाई जाए थोड़ा काम किया जाए,
करते ही नहीं कुछ बस सोचते ही हैं,
तो चलो दिमाग मे पल रहे ख्यालों को अंजाम दिया जाए,
मुझे रास्ता बताओ, कोई हाथ तो बढ़ाओ,
कुछ करने को उकसाओ, कहीं नाम किया जाए,
बस रुके पड़े हैं एक अरसे से कोई जानता ही नहीं,
उड़ जाऊँ मैं ऊंचाई पर , उस दूर के आसमान से पहचान किया जाए,
शुरुआत तो कराओ कोई चलो मेरे साथ अब ये सफर आसान किया जाए..
©Sarah Moses
#wait