एक मुस्कान अधूरी सी,
क्या मैं कर दूं पूरी सी?
आशाएं तो बहुत बड़ी हैं,
उम्मीदे भी बहुतेरी हैं,
जब भी लगता पूरी होंगी,
रह जाती हर बार अधूरी सी,
क्या मैं कर दूं पूरी सी?
मैने खुद को देखा है,
उनको भी कुछ पल देखा है,
यूं तो उनके संग में ही हूँ,
पर रहती है कुछ दूरी सी,
क्या मैं कर दूं पूरी सी?
आशाओं के पंख लगे हैं,
उम्मीदों की रफ्तार बहुत है,
मंजिल भी मिल जाएगी,
कम होगी ये दूरी भी,
एक मुस्कान अधूरी सी,
क्या मैं कर दूँ पूरी सी??
©Ravi Maurya
एक मुस्कान अधूरी सी...
#MereKhayaal