मोहब्बत की जिन्हे कद्र न हो, खुदा उन्हीं के मुकद् | हिंदी Poetry

"मोहब्बत की जिन्हे कद्र न हो, खुदा उन्हीं के मुकद्दर में मोहब्बत लिख देता है ताकि सज़ा मोहब्बत की कद्र न करने की मोहब्बत कर के मिले। मुक़द्दर ही अगर रुलाना चाहे तो बेकद्रों से मोहब्बत हो ही जाती है। ©Steven Robert"

 मोहब्बत की जिन्हे कद्र न हो,
 खुदा उन्हीं के मुकद्दर में मोहब्बत लिख देता है 
ताकि सज़ा मोहब्बत की कद्र न करने की 
 मोहब्बत कर के मिले।
मुक़द्दर ही अगर रुलाना चाहे तो
बेकद्रों से मोहब्बत हो ही जाती है।

©Steven Robert

मोहब्बत की जिन्हे कद्र न हो, खुदा उन्हीं के मुकद्दर में मोहब्बत लिख देता है ताकि सज़ा मोहब्बत की कद्र न करने की मोहब्बत कर के मिले। मुक़द्दर ही अगर रुलाना चाहे तो बेकद्रों से मोहब्बत हो ही जाती है। ©Steven Robert

mohabbat ki qadr tab hoti hai jab mohabbat ki hame sahi pehchan hoti hai...aur sahi mayine me pehchan tab hoti hai jab ham khuda ko jante hain..kyuki dil ka mamla seedha khuda ki jaat se judi hui hoti hai...😌😌❤️
#Shajar #Love #BreakUp #Life_experience

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