अंतिम यात्रा था मैं नींद में और मुझे इतना सजाया

"अंतिम यात्रा था मैं नींद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था बारे प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था न जाने था ओ कोन सा अजब खेल मेरे घर में बचो की तरह मुझे कंधो पर उठाया जा रहा था था पास मेरा हर अपना उस वक्त फिर भी मैं हर किसी के मन में भुलाया जा रहा था .जो कभी देखते भी ना थे मोहब्बत की निगाहों से उनके दिल से वी प्यार मूझ पे लिटाया जा रहा था. मालूम नही हैरान था सब कोई मुझे सोते देखकर. जोर जोर से रो कर मुझे जगाया जा रहा था. कप उठिए मेरी रूह ओ मंजर देखकर जाहा मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था . मोहबत की इंतिहान थी जिन दिलो में मेरे लिए उन्हों दिलो के हाथो आज मैं जलाया जा रहा था. दीपक पटेल. ©Kunal patel"

 अंतिम यात्रा



था मैं नींद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था
बारे प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था न जाने था ओ कोन सा अजब खेल मेरे घर में बचो की तरह मुझे कंधो पर उठाया जा रहा था
था पास मेरा हर  अपना उस वक्त
फिर भी मैं हर किसी के मन में भुलाया जा रहा था .जो कभी देखते भी ना थे मोहब्बत की निगाहों से उनके दिल से वी प्यार मूझ पे लिटाया जा रहा था. मालूम नही हैरान था सब कोई मुझे सोते देखकर. जोर जोर से रो कर मुझे जगाया जा रहा था. कप उठिए मेरी  रूह ओ मंजर देखकर जाहा मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था .
मोहबत की इंतिहान थी जिन दिलो में मेरे लिए उन्हों दिलो के हाथो आज मैं जलाया जा रहा था.



दीपक पटेल.

©Kunal patel

अंतिम यात्रा था मैं नींद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था बारे प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था न जाने था ओ कोन सा अजब खेल मेरे घर में बचो की तरह मुझे कंधो पर उठाया जा रहा था था पास मेरा हर अपना उस वक्त फिर भी मैं हर किसी के मन में भुलाया जा रहा था .जो कभी देखते भी ना थे मोहब्बत की निगाहों से उनके दिल से वी प्यार मूझ पे लिटाया जा रहा था. मालूम नही हैरान था सब कोई मुझे सोते देखकर. जोर जोर से रो कर मुझे जगाया जा रहा था. कप उठिए मेरी रूह ओ मंजर देखकर जाहा मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था . मोहबत की इंतिहान थी जिन दिलो में मेरे लिए उन्हों दिलो के हाथो आज मैं जलाया जा रहा था. दीपक पटेल. ©Kunal patel

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