महफ़िल तू सोचे बेढंगा, मैं बस सच लिखूं !! अब तो वक़् | हिंदी Poetry

"महफ़िल तू सोचे बेढंगा, मैं बस सच लिखूं !! अब तो वक़्त नहीं, पर पहले था, हर वक़्त लिखूं !! एक तरफ मेरे 'बोलती महफ़िल, दूसरी तरफ वो आखें !! कोशिश है, उन आँखों का हर 'शब्द' लिखूं !! तू सोचे बेढंगा, मैं बस सच लिखूं !! ©RAHUL BHARTI"

 महफ़िल तू सोचे बेढंगा, मैं बस सच लिखूं !!
अब तो वक़्त नहीं, पर पहले था, हर वक़्त लिखूं !!
एक तरफ मेरे 'बोलती महफ़िल, दूसरी तरफ वो आखें !!
कोशिश है, उन आँखों का हर 'शब्द' लिखूं !!

तू सोचे बेढंगा, मैं बस सच लिखूं !!

©RAHUL BHARTI

महफ़िल तू सोचे बेढंगा, मैं बस सच लिखूं !! अब तो वक़्त नहीं, पर पहले था, हर वक़्त लिखूं !! एक तरफ मेरे 'बोलती महफ़िल, दूसरी तरफ वो आखें !! कोशिश है, उन आँखों का हर 'शब्द' लिखूं !! तू सोचे बेढंगा, मैं बस सच लिखूं !! ©RAHUL BHARTI

Mehfil !!

#महफ़िल

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