White रात भर वो नींद से आँख मिचोनी का खेल खेलत | हिंदी Poetry

"White रात भर वो नींद से आँख मिचोनी का खेल खेलता रहा लगता है कहीं उसने वही उबाउ ख्वाब फिर से न देख लिया हो जिंदगी को जीनेके लिए वो नए बहाने ढूंढ रहा है हो सकता है मन के सैयाद ने जिंदगी के सामने फिर नए दाने न फेंक दिए हो ©Parasram Arora"

 White रात भर  वो नींद 
से  आँख मिचोनी 
का खेल खेलता रहा 


लगता है कहीं 
उसने वही उबाउ 
ख्वाब फिर से न देख लिया हो

जिंदगी को जीनेके
 लिए वो नए बहाने ढूंढ रहा है 
हो सकता  है मन 
के सैयाद ने जिंदगी
 के सामने  फिर  
नए दाने  न फेंक दिए  हो

©Parasram Arora

White रात भर वो नींद से आँख मिचोनी का खेल खेलता रहा लगता है कहीं उसने वही उबाउ ख्वाब फिर से न देख लिया हो जिंदगी को जीनेके लिए वो नए बहाने ढूंढ रहा है हो सकता है मन के सैयाद ने जिंदगी के सामने फिर नए दाने न फेंक दिए हो ©Parasram Arora

मन का सैयाद


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