रोला छंद
प्रखर बुद्धि तप भक्ति, शक्ति के तुम हो आगर ।
पवन पुत्र निष्काम, हृदय से करुणा सागर।।
राम काज के अन्य, तनिक कुछ नहीं सुहाए।
रघुपति के जो दास,हृदय प्रभु राम बसाए।।
सियाराम रसपान,कष्ट से हमें उबारे।
महाबली बलवंत, महाकपि सदा सहारे।।
रामदूत सब आस, मनोरथ पूर्ण करेंगे।
भक्ति भाव विश्वास,हमेशा अटल भरेंगे।।
©Sudha Tripathi
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