जिसको देखो वही
हताश, खफा, मरा सा नजर आता है।
जो सुनाओ कुछ लतीफे, तो ही,
हंसता हुए ज़रा सा नजर आता है।
जल्दबाजी में है इतनी,
जैसे चौबीस घंटों में
ज़िन्दगी खत्म होनी है,
सोच ही नहीं पाता कि
काम कुछ घंटों का है,
और बाकी के समय में उसे,
ज़िन्दगी "अपनी" जीनी है।
©Prashant Shakun "कातिब"
#Flower
#pshakunquotes #प्रशांत_शकुन_कातिब