अब किसमें कितनी बची हिम्मत चलो फिर से आजमाते है | हिंदी Poetry

"अब किसमें कितनी बची हिम्मत चलो फिर से आजमाते है हथियार तो बस चुभन देगी आखिर दर्द के लिए फिर से लेखनी उठाते है बोल देते है कुछ शब्द मगर बेअसर होगा कुछ ही अल्फाज है जो लिखकर दिखाते है दर्द के लिए फिर से लेखनी उठाते है ©कुमार दीपेन्द्र"

 अब किसमें कितनी बची हिम्मत 
चलो फिर से आजमाते है 
हथियार तो बस चुभन देगी आखिर
दर्द के लिए फिर से लेखनी उठाते है 
बोल देते है कुछ शब्द मगर बेअसर होगा 
कुछ ही अल्फाज है जो लिखकर दिखाते है 
दर्द के लिए फिर से लेखनी उठाते है

©कुमार दीपेन्द्र

अब किसमें कितनी बची हिम्मत चलो फिर से आजमाते है हथियार तो बस चुभन देगी आखिर दर्द के लिए फिर से लेखनी उठाते है बोल देते है कुछ शब्द मगर बेअसर होगा कुछ ही अल्फाज है जो लिखकर दिखाते है दर्द के लिए फिर से लेखनी उठाते है ©कुमार दीपेन्द्र

#Independence2021

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