वक्त पर टूटना चाहता था
इक मुरझाया हुआ गुलाब
वो किसी की चाहत में
मोहब्बत के इजहार में
शरीक होने को बेताब था
आज जो बेरंग सा झुका है
किसी का दिल टूटने से पहले
किसी का घर टूटने से पहले
सच में टूट जाना चाहता था
जो आज है इक मुरझाया हुआ
*गुलाब*
©Dr Amit Gupta
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