वो बचपन के दिन , वो अपनी अलग ही धुन । किस्से कहा | हिंदी कविता

"वो बचपन के दिन , वो अपनी अलग ही धुन । किस्से कहानियां नानी दादी के, वो नाना और दादा जी का प्यार । एक अलग ही सफर में था , मैं और मेरा साथ । वो गली मोहल्लों में खुला बंटता प्यार , वो आमों की चोरी वो पापा की डांट । आंखो से झलकता वो उन यादों का घुमार , आज भी याद दिलाता है वो बचपन का प्यार । वो बचपन के दिन , वो अपनी अलग ही धुन । आज इस तेज भागती जिंदगी में , वो दो पल सुकून के चाहिए वही वाला बचपन और वही वाली यादें चाहिए । ©short sweet"

 वो बचपन के दिन , वो अपनी अलग ही धुन । 

किस्से कहानियां नानी दादी के, वो नाना और दादा जी का प्यार । 

एक अलग ही सफर में था , मैं और मेरा साथ । 

वो गली मोहल्लों में खुला बंटता  प्यार , वो आमों की चोरी वो पापा की डांट । 

आंखो से झलकता वो उन यादों का घुमार , आज भी याद दिलाता है वो बचपन का प्यार । 

वो बचपन के दिन , वो अपनी अलग ही धुन । 

आज इस तेज भागती जिंदगी में , वो दो पल सुकून के चाहिए वही वाला बचपन और वही वाली यादें चाहिए ।

©short sweet

वो बचपन के दिन , वो अपनी अलग ही धुन । किस्से कहानियां नानी दादी के, वो नाना और दादा जी का प्यार । एक अलग ही सफर में था , मैं और मेरा साथ । वो गली मोहल्लों में खुला बंटता प्यार , वो आमों की चोरी वो पापा की डांट । आंखो से झलकता वो उन यादों का घुमार , आज भी याद दिलाता है वो बचपन का प्यार । वो बचपन के दिन , वो अपनी अलग ही धुन । आज इस तेज भागती जिंदगी में , वो दो पल सुकून के चाहिए वही वाला बचपन और वही वाली यादें चाहिए । ©short sweet

वो बचपन के दिन ।

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