रे मेडम हम तो जीते जी भी तेरे मारगे तो भी तेरे से
और बता तू के चाहावे से
गाम की मट्टी मैं जिंदगी गुज़ारगी
तू मानने मट्टी ते अलग करना चाहा से
न्यु होन कोना दे काधे बहेम मैं हो
पुस्तैनी मट्टी छोड़ कर किसकी पार बसावे से
तू के कहवे के यारा ने भूल जा रे बावली
वो मेरे जिगरी यार हैं जो आधी रात ने भी
मेरी गेल खड़े पावे से
©Rashid MoMeen