"रख्खि़ है ईफाजत़ से जब चाहे देख लेना
दी थी निशानी तू ने दुनिया से जो छुपाकर
मिलने का बादा करके जहाँ छोड़ के गये थे
उस रहा मे बैठे है हरपल दुःखो बिछाकर
कुछ देर का है मिलना कुछ न करो शिकायत
सब भूल जाओ जाना मुझको गले लगाकर"
रख्खि़ है ईफाजत़ से जब चाहे देख लेना
दी थी निशानी तू ने दुनिया से जो छुपाकर
मिलने का बादा करके जहाँ छोड़ के गये थे
उस रहा मे बैठे है हरपल दुःखो बिछाकर
कुछ देर का है मिलना कुछ न करो शिकायत
सब भूल जाओ जाना मुझको गले लगाकर