पापा जिन उंगलियों ने दरिचों से गलियों में चलना सिख

"पापा जिन उंगलियों ने दरिचों से गलियों में चलना सिखाया, आज वो गली छोड़ रही हूं मैं, जिस गोद में था बीता बचपन आज वो गोद छोड़ रही हूं मैं, माँ जिस आँचल से तूने दिया मुझे साया, आज वो साये का आँचल छोड़ रही हूं मैं, उस दहलीज़ पर मुझसे जाया ना जाएगा माँ, बेबस हूं कैसे तेरा आंगन छोड़ रही हूं मैं, भाई बात बात पे तुझसे गुस्सा होना तेरा मुझसे लड़ते रहना वाज़ीब था, अब अपनी गोद में मुझे प्यार से उठा ले ये लड़ायी छोड़ रही हूं मैं, इतने साल मैने तुम सबको जोड़ के रखा माफ़ करना अब रास्ता कई और मोड़ रही हूं मैं.! ©Kunal Nayak"

 पापा जिन उंगलियों ने दरिचों से गलियों में चलना सिखाया,
 आज वो गली छोड़ रही हूं मैं, 

जिस गोद में था बीता बचपन आज वो गोद छोड़ रही हूं मैं, 

माँ जिस आँचल से तूने दिया मुझे साया, 
आज वो साये का आँचल छोड़ रही हूं मैं,

 उस दहलीज़ पर मुझसे जाया ना जाएगा माँ,
 बेबस हूं कैसे तेरा आंगन छोड़ रही हूं मैं, 

भाई बात बात पे तुझसे गुस्सा होना तेरा मुझसे लड़ते रहना वाज़ीब था,
 अब अपनी गोद में मुझे प्यार से उठा ले ये लड़ायी छोड़ रही हूं मैं, 

इतने साल मैने तुम सबको जोड़ के रखा माफ़ करना अब रास्ता कई और मोड़ रही हूं मैं.!

©Kunal Nayak

पापा जिन उंगलियों ने दरिचों से गलियों में चलना सिखाया, आज वो गली छोड़ रही हूं मैं, जिस गोद में था बीता बचपन आज वो गोद छोड़ रही हूं मैं, माँ जिस आँचल से तूने दिया मुझे साया, आज वो साये का आँचल छोड़ रही हूं मैं, उस दहलीज़ पर मुझसे जाया ना जाएगा माँ, बेबस हूं कैसे तेरा आंगन छोड़ रही हूं मैं, भाई बात बात पे तुझसे गुस्सा होना तेरा मुझसे लड़ते रहना वाज़ीब था, अब अपनी गोद में मुझे प्यार से उठा ले ये लड़ायी छोड़ रही हूं मैं, इतने साल मैने तुम सबको जोड़ के रखा माफ़ करना अब रास्ता कई और मोड़ रही हूं मैं.! ©Kunal Nayak

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