खुल सी जाती हूँ में तुम्हे मिल कर....
क्या नशा हैं ये क्या जाने...
सारा गम तुझे बता कर
गुम सी जाती हूँ में
फिर इस गुम हुए दिल को
'कोई नही, होता हैं ' कह कर
आस दे जाती हैं
तू जो हैं पास मेरे
मदहोश कर के ये हवाये
पूछ ही लेती हैं हाल ए दिल का
पता तो होता हैं उसे हाल ए दिल
फिर भी सुनने को राजी रहती हैं
खुली हवाओ से आकर
मेरी जुबां खुलवा देती हैं
पूछ कर हाल ए दिल की खता
फिर से सुकून दे जाती हैं
फिर से जिनेकी उमीद दे जाती हैं
©vijaya sokanke
खुल सी जाती हूँ....