मेरी झूठी हसी को भी पहचान लेती है ,
वो मेरी मां है जो मेरे दर्द को जुबान देती है ।
कहीं बाया ना कर पाता हूं हाल ये दिल जनाब,
पर मां मेरे हर एक हर्फ को जान लेती है ।
मैं टूट जाता हूं अकसर गर्दिशे जमाने में ,
पर मां मुझे बिखरने से संभाल लेती है ।
©dil_ke_baat_kalam_se
#MothersDay