White होठों की मधुशाला को फिर से छलक जाने दो। आँखो | हिंदी विचार Video

"White होठों की मधुशाला को फिर से छलक जाने दो। आँखों के समंदर में अब फिर से बहक जाने दो। सागर की लहरों के जैसी देखी अजब रवानी, शांत सरोवर के पानी को आज छलक जाने दो। रक्तिम से अधर तुम्हारे जैसे कमल की पंखुड़ियां, इन सुर्ख कपोलों को छूकर आज महक जाने दो। काली घटा घिर आए जब जब जुल्फें लहराती है, इन जुल्फों के साए में अब तकदीर चहक जाने दो। कानों में कुंडल दीप्तिमान जैसे दो चांद सितारे हों, इन चाँद सितारों की महफिल आज लहक जाने दो। गजगामिनी सी चाल तुम्हारी जैसे फूलों की डाली है, 'राकेश' संभल कर चलो नहीं इन्हें लचक जाने दो। ©kavi jaipal "

White होठों की मधुशाला को फिर से छलक जाने दो। आँखों के समंदर में अब फिर से बहक जाने दो। सागर की लहरों के जैसी देखी अजब रवानी, शांत सरोवर के पानी को आज छलक जाने दो। रक्तिम से अधर तुम्हारे जैसे कमल की पंखुड़ियां, इन सुर्ख कपोलों को छूकर आज महक जाने दो। काली घटा घिर आए जब जब जुल्फें लहराती है, इन जुल्फों के साए में अब तकदीर चहक जाने दो। कानों में कुंडल दीप्तिमान जैसे दो चांद सितारे हों, इन चाँद सितारों की महफिल आज लहक जाने दो। गजगामिनी सी चाल तुम्हारी जैसे फूलों की डाली है, 'राकेश' संभल कर चलो नहीं इन्हें लचक जाने दो। ©kavi jaipal

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