आजादी न मिली भीख में,लड़कर हमने छीनी है । भारत की | हिंदी कविता

"आजादी न मिली भीख में,लड़कर हमने छीनी है । भारत की यह धरा सकल , बलिदान लहू से भीनी है । पट गए न जाने शरीर कितने , घाव धरा के भरने में । आजादी का परिणाम मिला था , मातृभूमि पर मरनें में ।।। ©Bhanu Pratap (Mohit Raj XT )"

 आजादी न मिली भीख में,लड़कर हमने छीनी है ।
भारत की यह धरा सकल , बलिदान लहू से भीनी है ।
पट गए न जाने शरीर कितने ,
घाव धरा के भरने में ।
आजादी का परिणाम मिला था ,
मातृभूमि पर मरनें में ।।।

©Bhanu Pratap (Mohit Raj XT )

आजादी न मिली भीख में,लड़कर हमने छीनी है । भारत की यह धरा सकल , बलिदान लहू से भीनी है । पट गए न जाने शरीर कितने , घाव धरा के भरने में । आजादी का परिणाम मिला था , मातृभूमि पर मरनें में ।।। ©Bhanu Pratap (Mohit Raj XT )

#RepublicDay #bharat #UNITY

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