मिलते हर ख्वाब में हो तुम
दिखते हर एहसास में हो तुम
सहर की मादकता बसी तुझमे
जीने का अभिप्राय बन गए हो तुम
एक आहट सी दिल में होती है
लगता है पास आ गए हो तुम
तुम्हारे लबों की खिलखिलाहट
क्या कहें, जान ले लेती हो तुम
कैसा है भरम, कैसी मदहोशी छाई है
आँखों में बस तेरी तस्वीर उभर आई है
कैसा है तुम्हारा राब्ता, ये तुम ही जानो
सांसो से उतर कर, रूह में समाई है
#मिलते हर ख्वाब में हो तुम