हो गया हूँ दूर तुमसे अब तो जिंदा रहने दो क्यों फ | हिंदी कविता

"हो गया हूँ दूर तुमसे अब तो जिंदा रहने दो क्यों फेकती हो छत पे पत्थर कोई तो परिंदा रहने दो ? ना भेजो कोई पैगाम खत न गुलदस्ता हमने छोड़ दिया है, तेरा रस्ता इस बाबत तो जिंदा रहने दो ना भेजो खत गली के बच्चों से अब जी नहीं करता कुछ कर गुजर जाने को छत है, बारजा है, न करो कोई हरकत अब जी नहीं करता है, बाहर आने को हो गया हूँ दूर तुमसे अब तो जिंदा रहने दो। ©Neeraj Neer"

 हो गया  हूँ  दूर तुमसे
अब तो जिंदा रहने दो
क्यों फेकती हो छत पे पत्थर
कोई तो परिंदा रहने दो ? 
ना भेजो कोई पैगाम खत न गुलदस्ता 
हमने छोड़ दिया है, तेरा रस्ता 
इस बाबत तो जिंदा रहने दो 
ना भेजो खत गली के बच्चों से
अब जी नहीं करता कुछ कर गुजर जाने को
छत है,  बारजा है, न  करो  कोई हरकत
अब जी नहीं  करता है,   बाहर आने को
हो गया  हूँ  दूर तुमसे 
अब तो जिंदा रहने दो।

©Neeraj Neer

हो गया हूँ दूर तुमसे अब तो जिंदा रहने दो क्यों फेकती हो छत पे पत्थर कोई तो परिंदा रहने दो ? ना भेजो कोई पैगाम खत न गुलदस्ता हमने छोड़ दिया है, तेरा रस्ता इस बाबत तो जिंदा रहने दो ना भेजो खत गली के बच्चों से अब जी नहीं करता कुछ कर गुजर जाने को छत है, बारजा है, न करो कोई हरकत अब जी नहीं करता है, बाहर आने को हो गया हूँ दूर तुमसे अब तो जिंदा रहने दो। ©Neeraj Neer

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