बहुत मेहनत से गुलजार किया था घर के चमन को
उसने आकर सब तहस-नहस कर दिया
बहुत मजबूत इरादे और विचार थे मेरे
पर उसने लाचार व बेबस कर दिया।
आजादी और बराबरी दी मैंने उसे बेशर्त
पर आज मुझे ही इस कदर विवस कर दिया
22 तारीख थी मेरे लिए एक यादगार दिन
पर उसने उसी 22 को काला दिवस कर दिया
सहारा तो ना बने मेरे कामयाब होने में
बर्बाद मेरे बच्चों का भविष्य कर दिया।
देते हैं जो रिश्ते हमें तकलीफ 'विद्रोही'
हमने अब उन रिश्तों को ही 'बस' कर दिया
#बेबस_कर_दिया