फैली चारो तरफ़ उदासी हैं कोई आस ना कोई उम्मीद बा | हिंदी लव

"फैली चारो तरफ़ उदासी हैं कोई आस ना कोई उम्मीद बाक़ी हैं आसमानों से डर लगता हैं अब मुझ को,मेरी ज़मीन काफ़ी हैं... ©ashita pandey बेबाक़"

 फैली चारो तरफ़ 
उदासी हैं 
कोई आस ना कोई उम्मीद
बाक़ी हैं 
आसमानों से डर लगता हैं 
अब
मुझ को,मेरी ज़मीन 
काफ़ी हैं...

©ashita pandey  बेबाक़

फैली चारो तरफ़ उदासी हैं कोई आस ना कोई उम्मीद बाक़ी हैं आसमानों से डर लगता हैं अब मुझ को,मेरी ज़मीन काफ़ी हैं... ©ashita pandey बेबाक़

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