होली खेल रहे नंद लाल,
देख मन हरख रहा।
साथ खेल रही राधा प्यारी,
देख मन हरख रहा।
मारे पिचकारी उड़ाए रहे गुलाल,
और गोपी संग खेल रहे ग्वाल,
देख मन हरख रहा।
इंद्र धनुष सा सजा गगन,
और धरा दिखे है लाल,
देख मन हरख रहा।
आज बिराज में,
छाई है खुशियां अपार,
देख मन हरख रहा।
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