ये सारी उलझने
किसी रोज़ एक मुस्कान के साथ
गायब हो जायेगी
और उसके बाद
कुछ लोग उन उलझनों
को याद करते
लिखेंगे कुछ और नई उलझने
और देंगे उनको नाम
एक
कहानी का
और वो कहानियाँ
फिर बन जाएगी
किसी उपन्यास का बीज
जिसका वृक्ष ऊँचा और हरा होगा
हवाएँ उसकी पत्तियों से
सूखे किरदार को टहनियों से अलग कर
ज़मीन पर फैला देगी
सब उन नई उलझनों का अंत ढूढेंगे
और फिर एक दिन
उसी निष्कर्ष पे आकर हँस पड़ेंगे
ठीक इसी तरह शुरू होती हैं
रिवायत
ख़ैर ये सब छोड़ो
तुम बताओ
क्या तुम्हारे उलझनों के वृक्ष पर
कोई घोसला हैं?
उज्ज्वल~
©Ujjwal Sharma
ये सारी उलझने
किसी रोज़ एक मुस्कान के साथ
गायब हो जायेगी
और उसके बाद
कुछ लोग उन उलझनों
को याद करते
लिखेंगे कुछ और नई उलझने
और देंगे उनको नाम