(अहिंसा के पुजारी)
स्वीकारिए नमन
अहिंसा के पुजारी।।
बुझा दीप जब हुआ
घनघोर अंधेरा,
निकला तू जैसे निकले
हर रोज सवेरा,
खेल था अद्भुत
अद्भुत था खिलाड़ी।
स्वीकारिए नमन
अहिंसा के पुजारी।।
खौफ़ था अंग्रेजों में
गांधी के नाम से,
राष्ट्र था संतुष्ट
महात्मा के काम से,
सपना लिए सुराज का
धारण किया खादी।
स्वीकारिए नमन
अहिंसा के पुजारी।
शब्द था वो जिससे
बन जाएं पंक्तियांँ,
दिव्य था बापू
उसकी दिव्य शक्तियांँ,
दिए की सदा से
दुश्मन रही आंधी।
स्वीकारिए नमन
अहिंसा के पुजारी।।
गांधी के दिव्यता कि
आभा चमक रही,
उस पुष्प से बगिऐ में
अद्भुत गमक रही,
ढकी साहसों से
हर एक बीमारीं।
स्वीकारिए नमन
अहिंसा के पुजारी।।
©सुधांशु पांडे़
#सुधांशु_निराला_राष्ट्रवादी_युवा_कवि पांडे निराला
#GandhiJayanti2020 @rajat sharma @Dervaliya Anil $ubha$"शुभ" Ritika Singh @Micku Nagar